अमृता देवी गुरू जांभोजी महाराज की जय बोलते हुए सबसे पहले पेड़ से लिपट गयी, क्षण भर में उनकी गर्दन काटकर सिर धड़ से अलग कर दिया. फिर तीनों पुत्रियों पेड़ से लिपटी तो उनकी भी गर्दनें काटकर सिर धड़ से अलग कर दिये.