कुलदीप बिश्नोई को मिली 'बिश्नोई रत्न' की उपाधि

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा

“सिर साटे रुख रहे तो भी सस्तो जाण”

अमृता देवी गुरू जांभोजी महाराज की जय बोलते हुए सबसे पहले पेड़ से लिपट गयी, क्षण भर में उनकी गर्दन काटकर सिर धड़ से अलग कर दिया. फिर तीनों पुत्रियों पेड़ से लिपटी तो उनकी भी गर्दनें काटकर सिर धड़ से अलग कर दिये.