विष्णु विष्णु तू भण रे प्राणी, पैंके लाख उपाजू।
रतन काया बैकुंठे वासो, तेरा जरा मरण भय भाजु।।

कुलदीप बिश्नोई को मिली 'बिश्नोई रत्न' की उपाधि

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, मुकाम, राजस्थान

बिश्नोई जाति के विचारशील व्यक्तियों ने, जाति के संगठन एवं विकास के लिए दिसम्बर, १९१९ में नगीना (ऊ. प्र) में एक सभा की स्थापना की जिसका नाम बिश्नोई सभा था। फरवरी, १९२१ में प्रचरीत एक परिपत्र के अनुसार अखिल भारतवर्षीय बिश्नोई सभा का पहला अधिवेशन नगीना में १९२१ में २६ से २८ मार्च तक हुआ।

इसके सभापति रायबहादुर हरप्रसाद वकिल और मंत्री रामस्वरुप कोठीवाले थे। इस सभा का सर्वप्रथम कार्यालय नगीना में स्थापित किया गया था, जो कालान्तर में हिसार स्थानान्तरित कर दिया गया। आजकल महासभा का मुख्य कार्यालय मुकाम (राज) में है।

महासभा का दुसरा अधिवेशन श्री चण्डीप्रसाद सिंह की अध्यक्षता में फलावदा में हुआ था। सन् १९२४ में कानपुर में सभा का तीसरा अधिवेशन हुआ, जिसके सभापति कांट निवासि स्वामी ब्रह्मनन्द्जी महाराज थे।

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युगपुरुष बिश्नोई रत्न चौ.भजनलाल

बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी बिश्नोई

संक्षिप्त जीवन व सियासी परिचय जन्म : 6 अक्टूबर 1930स्थान: बहावलपूर (पाक पंजाब)सियासी शुरुआत: आदमपुर पंचायत में पंच के रूप में।मुख्यमंत्री पद: दो बार संभाली कमान (1979-85), (1991-96)।केंद्रीय राजनीतिराजीव गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार में मंत्री रहेएक बार राज्यसभा सदस्य भी रहे।आखिरी बार 2009 में हिसार से हजकां के चुनाव चिह्न् पर लोकसभा का चुनाव जीता।पंजाबी बोली के क्षेत्र और पानी के मुद्दे पर भजनलाल पंजाब के आतंकवादियों के निशाने पर भी रहे। वे 77 में देवीलाल की बहुमत वाली सरकार गिराने के बाद चर्चा में आए। 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाने से खफा होकर भजनलाल ने कांग्रेस से नाता तोड़ दिया। 2004 में भिवानी लोकसभा सीट से बेटे कुलदीप बिश्नोई को चुनाव लड़ाया। सामने देवीलाल के पोते अजय चौटाला और बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह थे। इस चुनाव में जीत से भजनलाल का नाम और चमक गया। सबसे बड़ी बात यह रही कि बिश्रोई समाज की जनसंख्या हरियाणा में मात्र आधा प्रतिशत है और इसके बावजूद चौ. भजनलाल अपनी मिलनसार प्रवृति व हर समाज के लोगों को साथ लेकर चलने की क्षमता के चलते तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बने। चौ. भजनलाल जी एक अनुभवी व दूरदर्शी राजनीतिज्ञ होने के साथ लोकप्रिय नेता थे।

जीवन परिचय One of the best parliament speech


श्री कुलदीप बिश्नोई (संरक्षक)

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा

“सिर साटे रुख रहे तो भी सस्तो जाण”

अमृता देवी गुरू जांभोजी महाराज की जय बोलते हुए सबसे पहले पेड़ से लिपट गयी, क्षण भर में उनकी गर्दन काटकर सिर धड़ से अलग कर दिया. फिर तीनों पुत्रियों पेड़ से लिपटी तो उनकी भी गर्दनें काटकर सिर धड़ से अलग कर दिये.